बीएचयू शोध छात्रों की प्रेस वार्ता

प्रेस-वार्ता
प्रमुख बिन्दु
  • प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में स्थित सौ साल पुराना काशी हिन्दू विश्वविद्यालय अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के हितों पर कुठाराघात करने में सबसे अव्वल |
  • अस्थाई (टेन्टेटिव) रिजर्वेशन रोस्टर (अनिश्चित-सा =tentative roster) से की गई गैर-क़ानूनी नियुक्तियां स्थायी रोस्टर लगाने पर रद्द हो सकती है।
  • आवेदनकर्ता, उनके निकट सम्बन्धी और शोधार्थी भी लगे हैं आवेदन-पत्रों की जाँच में |
आदरणीय मीडिया बंधुओ !
जैसा कि आप जानते हैं “अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग संघर्ष समिति” काशी हिन्दू विवि में नियुक्तियों में की जा रही धांधली और आरक्षण को निष्प्रभावी बनाये जाने की साजिश के विरुद्ध आन्दोलनरत है. हमें अत्यन्त अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि देश के लब्ध प्रतिष्ठित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में आरक्षण नियमों की घोर अवहेलना, रोस्टर में गडबडी, Tentative roster के द्वारा पदों की हेराफेरी कर अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़े वर्गों के प्रतिनिधित्व को समाप्त करके वंचित वर्गों के संवैधानिक आरक्षण को निष्प्रभावी किया जा रहा है. अभ्यर्थियों के दस्तवेजों की जांच व साक्षात्कार के लिए किए जाने वाले चयन(shortlisting) में इस बार भयंकर गड़बड़ियां की जा रही हैं.निर्धारित अर्हता न रखनेवालों को भी गैर-क़ानूनी तरीके से नियुक्त किया जा रहा है. विवि द्वारा अपनाये जा रहे यह तरीके घोर असंवैधानिक और विवि की गरिमा को कलंकित करने वाले है. इन सभी मुद्दों का खुलासा हम आप सभी मीडिया बन्धुओं के सामने वीडियो व दस्तावेजी सबूतो के रूप में रख रहे है। इस उम्मीद के साथ कि आप लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ और जनता की आवाज के रूप में देश के सबसे बड़े और सौ साल पुराने केन्द्रीय विवि बीएचयू में जो कुछ भी गड़बड़ियाँ हो रही हैं और जिस तरह से अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के बहुसंख्यक लोगों के हितों और अधिकारों का हनन हो रहा है उसकी ओर शासन-प्रसासन में बैठे लोगों का ध्यान आकृष्ट करेंगे.
टेन्टेटिव रिजर्वेशन रोस्टर (Tentative roster) से गैर-क़ानूनी नियुक्तियां-
काशी हिन्दू विश्विद्यालय में देखा जाये तो यहाँ रोस्टर रजिस्टर बनाया ही नहीं गया है बल्कि विवि एक कामचलाऊ रोस्टर (tentative roster/register) बनाकर ताबड़तोड़ नियुक्तियां किये जा रहा है. प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर जैसे पदों में नियुक्तियां बिना किसी नियम और कायदे के कानून की धज्जियाँ उड़ा कर की जा रही हैं. ये सभी नियुक्तियां पूरी तरह असंवैधानिक और गैर-क़ानूनी हैं जैसे पिछली बार लोग निकाले गए थे, ये गैर कानूनी नियुक्तिया भी उसी श्रेणी मे आती है।
BHU का रोस्टर पूरी तरह फर्जी दस्तावेज है और यह पूरा का पूरा झूठ का पुलिंदा है क्योंकि-
  1. भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) द्वारा जारी दिशा-निर्देश तथा आदेशानुसार नियुक्तियों से सम्बन्धित बनाये गये रोस्टर को २ जुलाई 1997 से लागू करना अनिवार्य है किन्तु काशी हिन्दू विवि द्वारा बनाये गये रोस्टर में इसकी पूरी तरह अनदेखी की गयी है.
  2. BHU के गैर-क़ानूनी रिजर्वेशन रोस्टर (अनिश्चित-सा= tentative-roster) इसमें विभिन्न विभागों के प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों की स्वीकृति तिथि नहीं दिखाई गयी है. पूर्व में स्वीकृत पदों के संदर्भ में प्रथम नियुक्ति एवं उसकी सेवानिवृत्ति की तिथि तथा उसके बाद के चक्रानुक्रम का पूरी तरह उल्लेख नहीं है. इसी तरह किसी पद विशेष में नियुक्त व्यक्ति का नाम, नियुक्ति प्राप्त व्यक्ति की आरक्षित अथवा अनारक्षित श्रेणी का उल्लेख नहीं किया गया है.
  3. गैर-क़ानूनी रिजर्वेशन रोस्टर में (अनिश्चित-सा=tentative-roster) बैकलाग रिक्तियों की संख्या नहीं दर्शायी गयी है और न ही इस बात का उल्लेख किया गया है कि आरक्षित श्रेणी के पदों को कब कितनी संख्या में और किस वर्ष कैरी फॉरवर्ड किया गया इसका भी उल्लेख नहीं किया गया है.
  4. इस गैर-क़ानूनी रिजर्वेशन रोस्टर में प्रोफेसर के दर्जनों पदों को डाउनग्रेड करके एसोसिएट प्रोफेसर में तब्दील कर दिया गया जो पूरी तरह नियम विरुद्ध ही नही अपितु अपराधिक क्रिया-कलाप की श्रेणी में आता है.
  5. कहिविवी द्वारा UGC को भेजे गए रिपोर्ट में प्रोफ़ेसर काडर के पदों की संख्या २५३ बताई गई है जबकि Tentetive roster में प्रोफ़ेसर के २४०  पद विद्यमान हैं इसमें प्रोफ़ेसर के १२ पदों को गायब कर दिया है.
  6. अनेक विभागों में नये पदों के सृजित किये जाने का उल्लेख किया गया है किन्तु ये पद कब और किस शासनादेश के द्वारा स्वीकृत किये गये हैं इसका कोई उल्लेख नहीं है.
इस तरह की धांधली और असंवैधानिक कार्य विश्वविद्यालय प्रशासन के आला अधिकारियों द्वारा अनुसूचितजाति, जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधित्वकारी अवसर में समानता के अधिकार अर्थात् आरक्षण को सुनियोजित, संगठनात्मक साजिश के जरिये ख़त्म किया जा रहा है और नियुक्तियों में सुनियोजित षड्यंत्र के तहत अनुसूचितजाति, जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के पदों को सामान्य वर्ग के पदों से भरा जा रहा है.
आवेदनकर्ता और उनके निकट सम्बन्धी भी लगे हैं आवेदन-पत्रों की जाँच में-
बीएचयू की चयन प्रक्रिया में धांधली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहाँ पर अभ्यर्थियों और उनके रिश्तेदारों केसाथ-साथ शोधार्थियों को भी के आवेदन-पत्रों और उनके साथ संलग्न दस्तावेजों की जाँच में लगा दिया गया है. अभ्यर्थी अपने  और अपने संबंधियों के माध्यम से दस्तवेजों को जांचकर व साक्षात्कार के लिए जरूरी योग्यता और मनमाने अंक देकर अपनी जगह सुरक्षित कर ले रहे हैं. यह पहली बार देखने को मिल रहा जब अभ्यर्थी, उनके सम्बन्धी  और शोधार्थी चयन-प्रक्रिया (shortlisting) में सम्मिलित किये गये हैं.
इस वीडियो में आप देख सकते है कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय के संबोधि सभागार मे प्रो.रीता सिंह(हरी साड़ी पहने हुए) के नेतृत्व मे समाजशास्त्र विषय के असिस्टेंट प्रोफेसर के पद हेतु अभ्यर्थियों के दस्तवेजों की जांच व साक्षात्कार के लिए किए जाने वाले चयन(shortlisting) की प्रक्रिया चल रही है जहाँ मनीषा(पीले सलवार सूट में) जो कि खुद भी आवेदक है, इस सभागार में खुद ही आवेदन-पत्रों और उनके साथ संलग्न दस्तावेजो की जांचकर रही है। नियमानुसार पूरी प्रक्रिया अत्यंत गोपनीय होती है और उसमें शार्टलिस्टिंग कमेटी के सदस्यों के आलावा अन्य किसी भी व्यक्ति का प्रवेश निषिद्ध होता है.इसी प्रकार एक अन्य शोधार्थी सुश्री रुचिका चौधरी(नीले सलवार सूट में)भी है एक दूसरे आवेदक डा. नेहा चौधरी की बहन है.अन्य शोध छात्राएं गौरी, श्वेता, रजनी को भी आप आवेदन-पत्रों की जाँच प्रक्रिया(Sort listing)का सम्पादन करते हुए देख सकते हैं. यह तो एक उदाहरण मात्र है पूरे विवि में इसी तरह की अंधेरगर्दी जारी है.
बिना योग्यता और अनुभव के ही  की जा रही हैं नियुक्तियां-
काशी हिन्दू विवि में विभिन्न पदों की नियुक्तियां निर्धारित योग्यता को ताख पर रखकर की जा रही हैं. चिकित्सा विज्ञान संस्थान के हृदय रोग विभाग में ऐसे दो लोगों को पहले असिस्टेंट प्रोफेसर और फिर असोसिएट प्रोफेसर बना दिया गया जो दोनों पदों के लिए मेडिकल कौंसिल आफ इण्डिया और यूजीसी द्वारा निर्धारित योग्यता के मापदंडों को पूरा नहीं करते हैं. कार्डियोलाजी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर का एक और एसोसिएट प्रोफेसर के तीन पद एक साथ विज्ञापित किये गये थे. जिसमें एसोसिएट प्रोफेसर के एक पद को स्क्रूटनी के समय और एक पद को इंटरव्यू के बाद मनमाने तरीके से डाउन ग्रेड करके असिस्टेंट प्रोफेसर में तब्दील कर दिया गया तथा डा. धर्मेन्द्र जैन और डा. विकास अग्रवाल की गैर-क़ानूनी ढंग से नियुक्तियां कर दी गयीं. ये दोनों ऐसे आवेदक हैं जो अपने पद के लिए आवश्यक अर्हताएं भी नहीं रखते थे. इनमें से एक डा. धर्मेन्द्र जैन के पास DM cardiology की फर्जी डिग्री है जो मेडिकल काउन्सिल आफ इण्डिया से मान्यता प्राप्त नहीं है और दूसरे डा. विकास अग्रवाल के पास अर्हता की डिग्री के स्थान पर केवल DNB (Diplomat in National Board) का डिप्लोमा है. बाद में अब इन्हीं अयोग्य लोगों को कार्डियोलाजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर बनाया गया है. इनमें भी डा. विकास अग्रवाल के एसोसिएट बनाये जाने की भी अद्भुत कहानी है. इन्हें बीएचयू के नान टीचिंग कर्मचारियों की भांति पीपीसी से ही एसोसिएट प्रोफेसर बना दिया गया. इसके अतिरिक्त इनके पास एसोसिएट प्रोफेसर के लिए किसी मान्यता प्राप्त मेडिकल कालेज में तीन वर्षों का जरूरी शिक्षण अनुभव का भी अभाव है. इस तरह बीएचयू अपने अजब-गजब के कारनामों के लिए कुख्यात हो चुका है. जिनके पास न तो आवश्यक डिग्रियाँ हैं और न ही चिकित्सा शिक्षण का अनुभव है. ऐसे लोग चिकित्सा शिक्षा, अनुसन्धान और मरीजों का क्या हाल करेंगे इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है. कमोबेश इसी तरह से काहिविवि के अन्य विभागों में नियमों और आवश्यक अर्हताओं की अनदेखी करके अपने चहेतों को नियुक्त किया जा रहा है.
अंत में “अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग संघर्ष समिति” यह मांग करती है कि
·         बीएचयू में जारी असंवैधानिक तथा गैर-क़ानूनी नियुक्ति प्रक्रिया तत्काल रोकी जाये.
·         कुलपति के मनमाने रवैये पर अविलंब रोक लगाई जाय .
·         वर्तमान कुलपति के द्वारा की गई सभी नियुक्तियों की बहुदलीय संसदीय समिति से जाँच करायी जाए.
·         पूरी वैधानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए स्थायी रिजर्वेशन रोस्टर का प्रकाशन किया जाये.
·         अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़े वर्गों का उचित प्रतिनिधित्व क्रमशः १५%, ७.५% एवं २७% सुनिश्चित किया जाये.
·         इलाहबाद हाईकोर्टके अनुसारजब तक UGC अथवा मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा नियुक्तियों के सम्बन्ध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी न हो जाये तब तक भविष्य में कोई भी नियुक्ति न की जाये.
सौजन्य से- अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग संघर्ष समिति, काहिविवि, वाराणसी |
रवीन्द्र भारती, अजय कुमार, सुनील यादव, वरुण भाष्कर, बालगोविन्द सरोज, चन्द्रभान,विके सहगल, धीरज भारती, रवीद्र कुमार, मारुति मानव, रामायण पटेल, विनय गुप्ता, सुनील कश्यप, नमो नारायण पटेल, संतोष यादव, पिंटू कुमार, पंकज कुमार, कुनाल किशोर विवेक,आशुतोष कुमार,विजय प्रकाश भारती, नरेश राम, उमापति, प्रतिभा चौधरी ,भारती देवी, शिखा सोनकर, प्रदीप गौतम








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